Decline in poverty figures in the country last one decade

पिछले एक दशक में भारत में गरीबी के आंकड़े में काफी तेजी से कमी आई है. विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अत्यधिक गरीबी की दर 2011-12 में 27.1% से घटकर 2022-23 में 5.3% रह गई. विश्व बैंक ने अपनी गरीबी रेखा को संशोधित कर 2021 की कीमतों के आधार पर तीन डॉलर प्रतिदिन तय किया है, जो पहले की 2.15 डॉलर की सीमा से 15% अधिक है. इस नए मानक के आधार पर 2024 में भारत में 5.44 करोड़ लोग तीन डॉलर प्रतिदिन से कम पर जीवनयापन कर रहे थे.

रिपोर्ट के अनुसार, 2011-12 से 2022-23 के बीच अत्यधिक गरीबी की दर 16.2% से घटकर 2.3% हो गई, जिसके परिणामस्वरूप 17.1 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आए. ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी 18.4% से घटकर 2.8% और शहरी क्षेत्रों में 10.7% से 1.1% हो गई, जिससे ग्रामीण-शहरी गरीबी का अंतर 7.7% से घटकर 1.7% रह गया. यह 16% की वार्षिक कमी दर्शाता है. मुफ्त और रियायती खाद्यान्न हस्तांतरण जैसे कदमों ने इस उपलब्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के पांच सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में 54% अत्यंत गरीब लोग रहते हैं.

इकोनॉमी के मोर्चे पर जरूरत

इकोनॉमी के मोर्चे पर, विश्व बैंक ने बताया कि 2024-25 तक भारत की वास्तविक जीडीपी महामारी-पूर्व स्तर से लगभग 5% कम थी. हालांकि, ग्लोबल अनसर्टेनिटी के व्यवस्थित समाधान के साथ 2027-28 तक इकोनॉमी धीरे-धीरे संभावित स्तर पर लौट सकती है. लेकिन, बढ़ते व्यापार तनाव और नीतिगत बदलाव निर्यात मांग को कम कर सकते हैं और निवेश में सुधार को बाधित कर सकते हैं.

कितना रहेगा घाटा

रिपोर्ट के अनुसार, चालू खाता घाटा 2026-28 के दौरान जीडीपी के 1.2% के आसपास रहेगा, जिसे पूंजी प्रवाह द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा. विदेशी मुद्रा भंडार भी जीडीपी के 16% के स्तर पर स्थिर रहने की उम्मीद है. विश्व बैंक ने भारत की इस उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा कि पिछले दशक में भारत ने गरीबी को नाटकीय रूप से कम किया है. यह प्रगति न केवल भारत की इकोनॉमी के लिए, बल्कि वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन के प्रयासों के लिए भी एक मिसाल है.

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